राजस्थान और मध्य प्रदेश से सामने आए हालिया मामलों ने एक बार फिर कफ सिरप की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजस्थान में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से दिए गए डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप (Dextromethorphan hydrobromide) पीने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ गई।
भरतपुर में 4 साल की बच्ची और जयपुर में 2 साल की बच्ची बीमार हो गईं, जबकि सीकर में 5 साल के एक मासूम की मौत हो गई। यही नहीं, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी पिछले एक महीने में कथित तौर पर इसी तरह के सिरप पीने से किडनी संक्रमण के कारण छह बच्चों की मौत हुई थी।
इन घटनाओं के बाद राजस्थान के ड्रग कंट्रोलर ने तुरंत इस सिरप के उपयोग पर रोक लगाई है और प्रयोगशाला जांच के लिए नमूने भेजे हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर यह सिरप कितना सुरक्षित है और किन परिस्थितियों में यह खतरनाक साबित हो सकता है।
डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड क्या है?
डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड की खोज 1950 के दशक में हुई थी। इसे खांसी रोकने वाली दवाओं में कोडीन का विकल्प माना गया। कोडीन नशे की लत पैदा कर सकती थी, इसलिए इसके सुरक्षित विकल्प के रूप में डेक्सट्रोमेथॉर्फन को इस्तेमाल में लाया गया।
यह दवा आमतौर पर सूखी खांसी (Dry Cough) के इलाज में दी जाती है। खांसी की वजह से नींद और दैनिक जीवन प्रभावित होता है, ऐसे में यह दवा राहत देती है।
किसे दी जा सकती है यह दवा?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा का उपयोग हमेशा डॉक्टर की निगरानी में होना चाहिए।
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा नहीं दी जानी चाहिए।
- 2 से 6 साल तक के बच्चों को केवल डॉक्टर द्वारा तय की गई सटीक खुराक ही दी जा सकती है।
- 6 साल से ऊपर के बच्चों और वयस्कों में भी इसका उपयोग केवल चिकित्सक की सलाह पर होना चाहिए।
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के इंटरनल मेडिसिन एंड इंफेक्शन डिजीज विभाग के डायरेक्टर डॉ. अरविंद अग्रवाल कहते हैं:
“यह दवा खांसी को नियंत्रित करती है जिससे मरीज को नींद आने में मदद मिलती है और रोज़मर्रा की गतिविधियां भी बेहतर तरीके से हो पाती हैं। लेकिन इसे तभी सुरक्षित माना जा सकता है जब डॉक्टर की सही खुराक और मार्गदर्शन के अनुसार लिया जाए।”
इसके संभावित नुकसान क्या हैं?
लखनऊ स्थित जनरल फिजिशियन डॉ. सुनील बताते हैं कि यह दवा कभी-कभी नींद, चक्कर, हल्का पेट दर्द जैसी दिक्कतें पैदा कर सकती है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में एलर्जी या सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि जिन मरीजों को लिवर या किडनी की समस्या है, उन्हें इस सिरप का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
डॉ. अरविंद का भी कहना है:
“अगर दवा की खुराक या समय में मनमानी की जाए तो यह नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए हमेशा निर्धारित खुराक और समय पर ही सेवन करना जरूरी है।”
हालिया घटनाओं ने क्यों बढ़ाई चिंता?
हाल के मामलों में जिस तरह बच्चों पर इसका गंभीर असर देखा गया है, उसने स्वास्थ्य विभाग और पैरेंट्स दोनों को सतर्क कर दिया है।
- राजस्थान में बच्चों की तबीयत बिगड़ने और मौत के मामलों के बाद ड्रग कंट्रोलर सक्रिय हो गया है।
- सिरप के नमूने लैब टेस्ट के लिए भेजे गए हैं।
- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत ने स्थिति और गंभीर बना दी है।
इन घटनाओं से साफ है कि बिना डॉक्टर की सलाह के सिरप का इस्तेमाल बेहद खतरनाक हो सकता है।
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विशेषज्ञों की सलाह
डॉक्टर्स का कहना है कि खांसी जैसी सामान्य बीमारी में भी दवा का चुनाव खुद से नहीं करना चाहिए। खासकर बच्चों के मामले में पैरेंट्स को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
डॉ. सुनील ने कहा,
“मरीज चाहे बच्चा हो या बड़ा, खुराक केवल डॉक्टर की लिखी हुई होनी चाहिए। गलत खुराक जानलेवा साबित हो सकती है।”
क्या करें और क्या न करें
✅ हमेशा डॉक्टर से परामर्श लेकर ही दवा लें।
✅ बच्चों के लिए सटीक खुराक का पालन करें।
✅ लिवर या किडनी रोगी पहले डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताएं।
❌ 2 साल से कम उम्र के बच्चों को यह दवा न दें।
❌ खुराक खुद से बढ़ाने या घटाने की गलती न करें।
डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप एक पुरानी और आमतौर पर सुरक्षित दवा है, लेकिन हालिया घटनाओं ने साबित किया है कि इसके इस्तेमाल में लापरवाही खतरनाक हो सकती है। सही खुराक और चिकित्सक की निगरानी में इसका इस्तेमाल लाभकारी है, लेकिन मनमानी करने पर यह जानलेवा भी हो सकता है।