देश भर के वाहन चालकों और यात्रियों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगने वाले टोल टैक्स में जल्द ही महत्वपूर्ण कमी देखने को मिल सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने देश के सभी टोल प्लाजा के लिए टैक्स दरों को फिर से परिभाषित करने का प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसके अगले सप्ताह से लागू होने की उम्मीद है। इस कदम का सबसे बड़ा फायदा छोटी कारों और अन्य हल्के वाहनों को मिलने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, एनएचएआई ने अपने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को नए आधार वर्ष पर टोल दरों की गणना करने और उन्हें संशोधित करने के निर्देश जारी किए हैं। यह कदम वाहन चालकों पर बढ़ते वित्तीय बोझ को कम करने और यात्रा लागत में आसानी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है पूरा मामला? समझें गणना का नया फॉर्मूला
टोल दरों में इस संभावित कटौती की जड़ है महंगाई दर (व्होल्सेल प्राइस इंडेक्स – WPI) के आधार वर्ष में बदलाव। अभी तक देश भर के टोल प्लाजा वर्ष 2004-05 को आधार मानकर हर साल एक अप्रैल से टोल दरों का निर्धारण करते आ रहे हैं। इसी के आधार पर इस साल भी दरों में लगभग 5% की बढ़ोतरी की गई थी।
लेकिन अब एनएचएआई ने एक बड़ा बदलाव करते हुए महंगाई दर के लिए आधार वर्ष 2004-05 के स्थान पर 2011-12 को अपनाने का निर्देश दिया है। इस सरल से दिखने वाले बदलाव का टोल दरों पर सीधा और सकारात्मक असर पड़ेगा।
तकनीकी पहलू को समझें:
- पुराना आधार वर्ष (2004-05): इसके अनुसार ‘लिंकिंग फैक्टर’ (महंगाई समायोजन का फार्मूला) का मूल्य 1.641 था।
- नया आधार वर्ष (2011-12): इसके अनुसार ‘लिंकिंग फैक्टर’ का मूल्य घटकर 1.561 रह गया है।
इस ‘लिंकिंग फैक्टर’ के घटने का सीधा सा मतलब है कि टोल दरों की गणना अब एक कम महंगाई दर के आधार पर होगी, जिससे अंतिम टोल राशि में कमी आएगी।
वाहन चालकों को कितनी राहत? जानें अनुमानित बचत
नई दरें लागू होने के बाद सबसे अधिक राहत छोटे वाहनों (जैसे कारें, जीप, ऑटो रिक्शा) के उपयोगकर्ताओं को मिलने का अनुमान है। प्रारंभिक गणना के अनुसार, इस श्रेणी के वाहनों के टोल टैक्स में 5 से 10 रुपये तक की कमी देखने को मिल सकती है। जबकि भारी वाहनों पर यह बचत और भी अधिक हो सकती है।
इसके साथ ही, एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि 1 अप्रैल, 2025 को जो टोल दरों में बढ़ोतरी हुई थी, वह भी प्रभावी रूप से वापस ले ली जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि कई मार्गों पर टोल दरें वास्तव में पिछले साल (2024) के स्तर जितनी ही रह सकती हैं, जो चालकों के लिए एक प्रकार की कीमतों में स्थिरता लाएगी।
एनएचएआई ने शुरू कर दी है प्रक्रिया, जल्द होगा लागू
इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है। 29 सितंबर को एनएचएआई के चंडीगढ़ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने सभी परियोजना निदेशकों को एक आधिकारिक पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि वे अपने अधीन आने वाले सभी टोल प्लाजा के लिए नई दरों का प्रस्ताव नए आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर तैयार करें। सूत्रों का कहना है कि एनएचएआई इस नई व्यवस्था को अगले सप्ताह से ही लागू करने की तैयारी में जुटा हुआ है।
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टोल राजस्व का विशाल आकार और आम आदमी पर प्रभाव
देश में बुनियादी ढांचे के विकास, विशेष रूप से राजमार्गों के निर्माण और रखरखाव में टोल राजस्व एक प्रमुख स्रोत है। देश के लगभग 1.5 लाख किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क पर एनएचएआई के कुल 1,087 टोल प्लाजा स्थित हैं।
इन प्लाजा के माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 61,000 करोड़ रुपये का शुल्क एकत्र किया जाता है, जबकि प्रतिदिन का औसतन राजस्व लगभग 168 करोड़ रुपये के आसपास है। केवल हरियाणा राज्य में ही एनएचएआई के 55 टोल प्लाजा हैं, जिनसे प्रतिदिन लगभग 9 करोड़ रुपये की वसूली होती है। इनमें से सिर्फ एनएचएआई हिसार कार्यालय के अंतर्गत आने वाले 10 टोल प्लाजा से ही रोजाना 1.68 करोड़ रुपये का राजस्व आता है।
इस संदर्भ में, टोल दरों में यह संभावित कमी न केवल आम लोगों की यात्रा लागत को कम करेगी, बल्कि माल ढुलाई की लागत घटने से मुद्रास्फीति पर भोजन और अन्य वस्तुओं की कीमतों के दबाव को कम करने में भी अप्रत्यक्ष रूप से सहायक हो सकती है। यह कदम सरकार की ‘जन-केंद्रित’ नीतियों की एक और कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।